है आज हमें जिसकी सबसे ज्यादा जरुरत,
आदि हो गए हैं ,इसके बिना तो हम बेजान मूर्त ||
सब जानते हैं ,वो है चंचला ,तड़ीका ,बिजली ,
नज़र ही नहीं आती उड़ा रही है सबकी खिल्ली||
मैंने भी दो चार बुजर्गवारों से की थी बात ,
पहले कैसे कटता था दिन और कैसे कटती थी रात ||
किसी से सुना है पहले बिजली नहीं होती थी ,
तंग थे पहले भी या ये जनता ऐसे ही रोती थी ||
हंसने लगे और बोले बेटा सब कुदरत का खेल है ,
वो होते थे बहुत ही हसीं दिन अब तो घर भी जेल है ||
गर्मी सर्दी बरसात पहले भी सब कुछ होता था ,
सभी आराम से जीते थे, ऐसे नहीं कोई रोता था ||
पहले पैसे की तो थी कमी ,जेबे खाली होती थी ,
अस्सी की उम्र में भी चेहरे पर लाली होती थी||
सादा खाना, सादा पीना, सादा जीवन जीते थे ,
बहुत ही कम थी बीमारियाँ सौ -सौ वर्ष जीते थे ||
आज का इंसान प्रदूषण ही प्रदूषण फैला रहा है ,
काटकर हरे भरे वृक्ष बहुमंजिलें भवन बना रहा है ||
न रहा वो खाना पीना बस पेट ही भर रहें हैं ,
जहर ही मिलता है हर चीज में बस यूँ ही मर रहे हैं ||
वो बोले न करो प्रकृति से खिलवाड़ और न ख़तम करो हरियाली ,
फिर एक दिन देखना तुम्हारे चेहरों पर भी आ जायेगी लाली ||
भावुक हो गया मैं और आँखों में आ गया था पानी ,
सोचा आने वाले बच्चे कैसे गुजारेंगें बचपन और कैसे जवानी ||
bahut hi sateek aur samyik post
ReplyDeleteparyavaran par likhi aapki rachna bahut hi achhi lagi ---par ye baaten logon ko samjhaye koun-----
poonam
पर्यावरण से प्यार करो
ReplyDeleteइससे न खिलवाड करो
यही हमारा प्राण रक्षक
इसको न विषाक्त करो
हरे भरे जंगल काटकर
न धरती वीरान करो
बृक्ष हमारे प्राण रक्षक
सदा तुम प्यार करो,,,,,,
समर्थक पहले से हूँ आपभी बने तो मुझे खुशी होगी ,,,,,,
RECENT POST...: दोहे,,,,
सुरेश जी आपकी पोस्ट वास्तव मे बहुत कुछ सिखलाती है क्यो की प्रकृति के बिना हमारा बजूद होना संभव नही है फिर भी लोग यहा पर कंक्रीट के जगल खडे करते जा रहे है जो एक दिन हमी को दबा लेगे
ReplyDeleteयूनिक तकनीकी ब्लाग
100% sahmat...
ReplyDeleteबहुत उम्दा गहन अभिव्यक्ति उत्कृष्ट प्रस्तुति ...बधाई सुरेश जी
ReplyDeleteप्रकृति से खिलवाड़ करके हम अपना भविष्य अपने ही हाथों बर्बाद कर रहे हैं, अभी भी संभल जाएँ तो काफी है... जागरूक करती पोस्ट. आभार
ReplyDeleteसुंदर संदेश देती रचना...
ReplyDeleteवो बोले न करो प्रकृति से खिलवाड़ और न ख़तम करो हरियाली ,
ReplyDeleteफिर एक दिन देखना तुम्हारे चेहरों पर भी आ जायेगी लाली ||
भावुक हो गया मैं और आँखों में आ गया था पानी ,
सोचा आने वाले बच्चे कैसे गुजारेंगें बचपन और कैसे जवानी ||
beautiful lines very near to life .
सुन्दर सन्देश देती रचना..
ReplyDeleteवृक्ष लगाओ देश बचाओ...
:-)
सीमेंट कांक्रीट के महल खडे करके इंसान अपनी ही कब्र खोद रहा है. आज पर्यावरण को बचाने की ज्यादा जरूरत है, बहुत उम्दा रचना, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
काश हम सुधर पायें ...
ReplyDeleteजागरूक करती पोस्ट
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