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Friday, July 6

पानी रे पानी


मचा हुआ है चारों तरफ बिजली पानी का हाहाकार,
न जाने कब आएगी ,वो प्यारी -प्यारी मानसून की बहार |
इस कुदरत के खेल भी हैं, अजब- गजब न्यारे -न्यारे ,
कहीं पर सूखाग्रस्त और कहीं पर बाढ़ से मर रहें हैं बेचारे |
जब नाममात्र या बिलकुल ना आये पानी तो सबको रुला जाता है ,
जब जरुरत से ज्यादा आये पानी ,तो कहर बरपा जाता है |
तेरी लीला भी न्यारी भगवन ,तू ही सबको उदारता है ,
किसी को तो  सुखा के और  किसी को डूबा के मारता है |

7 comments:

  1. आज के समय की सच्चाई बहुत बढ़िया सुरेश जी

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  2. उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई !!!

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  3. मानसून गिरता नही, पडती नही फुहार,
    बिजली पानी है नही, मचा है हाहाकार,,,,,,

    RECENT POST...: दोहे,,,,

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  4. ईश्वर की महिमा अपरमपार।

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  5. पानी जीवन जल है ...
    हमें सुधारना होगा ! आभार आपका !

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  6. बहुत सार युक्त रचना |
    आशा

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