मचा हुआ है चारों तरफ बिजली पानी का हाहाकार,
न जाने कब आएगी ,वो प्यारी -प्यारी मानसून की बहार |
इस कुदरत के खेल भी हैं, अजब- गजब न्यारे -न्यारे ,
कहीं पर सूखाग्रस्त और कहीं पर बाढ़ से मर रहें हैं बेचारे |
जब नाममात्र या बिलकुल ना आये पानी तो सबको रुला जाता है ,
जब जरुरत से ज्यादा आये पानी ,तो कहर बरपा जाता है |
तेरी लीला भी न्यारी भगवन ,तू ही सबको उदारता है ,
किसी को तो सुखा के और किसी को डूबा के मारता है |
आज के समय की सच्चाई बहुत बढ़िया सुरेश जी
ReplyDeleteउम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई !!!
ReplyDeleteमानसून गिरता नही, पडती नही फुहार,
ReplyDeleteबिजली पानी है नही, मचा है हाहाकार,,,,,,
RECENT POST...: दोहे,,,,
maarmik
ReplyDeleteईश्वर की महिमा अपरमपार।
ReplyDeleteपानी जीवन जल है ...
ReplyDeleteहमें सुधारना होगा ! आभार आपका !
बहुत सार युक्त रचना |
ReplyDeleteआशा