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Sunday, March 25

देखिये दूरदर्शन कुछ इस तरह


आये दिल ऐ नादान,कैसी यह जिन्दगानी,
सुपर सन्नी ,फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी |
अफसर बिटिया ,हिटलर दीदी ,कामयाबी की उड़ान ,
रुक जाना नहीं नचले वे विद सरोजखान|
यहाँ मैं घर-घर खेली ,परवरिश कुछ खट्टी कुछ मीठी ,
सास बिना ससुराल ,रिश्तो के भंवर में उलझी नियति |
मिसेज कोशिक की पांच बहुएँ,कुछ तो लोग कहेगें ,उतरन |
मैं बाबुल के देश ,बाबा ऐसे वर ढूढों ,राजधानी से ,कृषि दर्शन |
इस प्यार को क्या नाम दूं ,छोटी बहु २,देखा एक ख्वाब ,
सुकन्या हमारी बेटियां ,मुआवजा मदद या अभिशाप |
एक हजारो में मेरी बहना है ,पवित्र रिश्ता ,सिमर का ससुराल ,
मन की आवाज ,बड़े अच्छे लगते हैं ,सोहनी महिवाल |
सात वचन सात फेरे ,ये रिश्ता क्या कहलाता है ,साथिया,
मर्यादा लेकिन कब तक ,ससुराल गेंदा फूल ,नव्या ,परिचय |
शमां,रंगोली ,मंगलसूत्र एक मर्यादा ,स्त्री तेरी यही कहानी ,
पिया का घर ,बालिका वधु ,फुलवा ,धर्मपत्नी ,जननी |
 तू तू मै मै ,नीम- नीम शहद -शहद डिस्कवरी ,हवन ,
बी टी 30 ,यंहा के हम सिकन्दर ,पहचान |
 कहानी चन्द्र कांता की ,पिया का घर प्यारा लगे ,राम मिलाये जोड़ी ,
द्वारका धीस कृष्णा ,सवारों सबके सपने प्रीतो ,बिन्द बनुगां चढूँगा  घोढ़ी |
 आशियाना ,हारजीत,कानाफूंसी ,नादानियाँ ,भागोवाली ,
बुलबले ,वीर शिवाजी ,जय-जय जय बजरंग बली  |    

26 comments:

  1. दमदार प्रस्तुति ।

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  2. बहुत ही रोचक और मजेदार है....

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  3. सारे धारावाहिक की जानकारी मिल रही है..उम्दा

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  4. सार्थक ,
    बहुत ख़ूबसूरत पोस्ट, आभार.

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  5. बहुत बढ़िया दमदार रोचक रचना,सुंदर सार्थक अभिव्यक्ति,बेहतरीन पोस्ट,....

    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...

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  6. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति
    आप को सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया,"राजपुरोहित समाज" आज का आगरा और एक्टिवे लाइफ
    ,एक ब्लॉग सबका ब्लॉग परिवार की तरफ से सभी को भगवन महावीर जयंती, भगवन हनुमान जयंती और गुड फ्राइडे के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं ॥
    आपका

    सवाई सिंह{आगरा }

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  7. दूरदर्शन का दूर से भी दर्शन नहीं करती, लेकिन कुछ नाम सुने हुए हैं जैसे बालिका वधु और उतरन जिसके दो तीन एपिसोड कभी देखे थे. इतने सारे धारावाहिक... बाप रे. बहुत रोचक प्रस्तुति, बधाई.

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  8. एक दो नाम तो सुने हुए लग रहे हैं इसमें ..आप सब देखते हैं??
    रोचक प्रस्तुति.

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    1. Shikha g sare ke sare natak maine dekhe hain chahe dekhi ho ak kadi hi . Par ye jo maine likha hai sab akhbaar mein dekhkar.......

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  9. बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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  10. Doordarshan ka apna ek alag maja tha... akele sartaaj tha par naye channels ne iski jagah le li hai ab... par dil mein yaadein to abhi bhi bani hui... bachpan mein garmi kee chhuttiyon ka chhutti-chhutti ke liye rahta tha... saturday ka intejaar shaktimaan ke liye to sunday ramayan, mahabharat aur shree krishna ke liye karte the... kuchh bhi kyon na ho jaye shaam kee film nahi chhutati thi... aur chitrahaar ke gaane... sabse rochak tha film se pahle dikhaye jane wale gumshuda talaash kendra kee jaankaari... address to kanthasth ho chuka tha...

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    1. Bilkul sahi hai ji , us time t v dekhne ka apna hi maza tha. Jangal jangal baat chali hai pata chala chaddi pahan ke phul kgila hai phul khila.....

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  11. बढिया प्रस्तुति .......पहली बार आया आपके ब्लाग पर लेकिन बढिया लगा

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  12. बहुत उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

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  13. Your post reminded me of a song by pradeep
    "pinjre ke panchi re, tera dard na jane koi"

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  14. आपकी पोस्ट कल 9/8/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें

    चर्चा - 966 :चर्चाकार-दिलबाग विर्क

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  15. जब पढे़ इसे दूर के दर्शन हो गये
    हम आस पास में ही थे खो गये!

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