बहुत दिनों से मेरे मन में एक बात आ रही थी ,
ये क्या हो रहा है, सोचकर मन को दुखा रही थी |
ये देश है प्यारा अपना, भारत देश हमारा है ,
जहाँ पर बेटियों से, करना हमने किनारा है |
आने वाली औलाद में, अपना वंस खोजते हैं ,
जो आएगा वो सिर्फ बेटा हो, सब ये ही सोचते हैं |
जब कन्यायों को देवी मानकर, हम उनकी पूजा करते हैं,
तो फिर क्यों हम उनको , गर्भ में ही ख़तम करते हैं |
देवी माँ को खुश करने के लिए जिनको हम पूजते हैं ,
आस-पास नहीं मिलती,तो झौपड -पटियों में धुंडते है |
इन बेटियों को बचाओ, आप ही कुछ न कुछ करोगे,
अगर नहीं बचा सके तो, देवी माँ को कैसे खुश करोगे |
*********** जय माता दी ****************
इन बेटियों को बचाओ, आप ही कुछ न कुछ करोगे,
ReplyDeleteअगर नहीं बचा सके तो, देवी माँ को कैसे खुश करोगे |
बिलकुल सही कहा हैं आपने अगर देवी माँ को खुश करना हैं तो बेटियों को बचाना ही होगा | इसके लिए हमें कोई सार्थक कदम उठाना होगा |
जो लोग नवरात्र में बेटियों की इतनी पूजा करते है उन्हे हमेशा ऐसी ही करनी चाहिए, ताकि ये अन्तर मिट जाये।
ReplyDeleteसही कहा आपने, आज हालत यह है कि दुर्गा नवमी को पूजन के लिये कन्याएं नही मिलती. बहुत ही खेदजनक हैं. सामयिक और सार्थक आलेख के लिये आभार आपका.
ReplyDeleteरामराम.
इन बेटियों को बचाओ, आप ही कुछ न कुछ करोगे,
ReplyDeleteअगर नहीं बचा सके तो, देवी माँ को कैसे खुश करोगे |
सच है. सुंदर प्रस्तुति.
बहुत प्रेरणा दायक बहुत अच्छे भाव पूर्ण कविता !पहली बार आपके ब्लॉग पर आई हूँ आकर अच्छा लगा आपकी श्रंखला से जुड़ रही हूँ क्या आप भी मेरे ब्लॉग पर आना पसंद करेंगे इन्तजार है !
ReplyDeleteइन बेटियों को बचाओ, आप ही कुछ न कुछ करोगे,
ReplyDeleteअगर नहीं बचा सके तो, देवी माँ को कैसे खुश करोगे
bhut acha.
बहुत प्रेरणा दायक बहुत अच्छे भाव पूर्ण कविता| सुंदर प्रस्तुति|
ReplyDeleteसमाज को अब ये भेदभाव हटाना ही चाहिए .....सार्थक प्रस्तुति
ReplyDeleteपढ़े लिखों के घर में यही हाल है ., मैंने भी कुछ ऐसा ही लिखा ..
ReplyDeleteदुखद!
अत्यंत सार्थक प्रस्तुति...
ReplyDeleteसादर आभार...
इन बेटियों को बचाओ, आप ही कुछ न कुछ करोगे,
ReplyDeleteअगर नहीं बचा सके तो, देवी माँ को कैसे खुश करोगे |
.....सच इस दिशा में सबको अपने स्तर से सोचना ही नहीं अपितु आगे आकर काम करना होगा..
बहुत बढ़िया प्रस्तुति..
देवी माँ को खुश करने के लिए कौन कन्या खिलाता है सब को पुत्र , धन्य धान्य मिले इसलिए दूसरो की कन्याओ को खिला चरण धो कर देवी को बहलाना चाहते है |
ReplyDeleteThat was so sweet. Excellent piece of writing.
ReplyDeleteIndia is a land of many festivals, known global for its traditions, rituals, fairs and festivals. A few snaps dont belong to India, there's much more to India than this...!!!.
Visit for India
बहुत सटीक और प्रभावी अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteइधर भी कभी आयें--
http://batenkuchhdilkee.blogspot.com/2011/09/blog-post.html
yahan bhi aana tha
ReplyDeleteचर्चा-मंच 656
http://charchamanch.blogspot.com/
इधर नहीं आये--
ReplyDeleteचर्चा-मंच 656
http://charchamanch.blogspot.com/
बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
ReplyDeleteआपको दशहरा की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
विजयदशमी की आपको हार्दिक शुभकामनायें.
ReplyDeleteसुंदर सार्थक और सशक्त रचना
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को दशहरे की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
ReplyDeleteअगर नहीं बचा सके तो, देवी माँ को कैसे खुश करोगे |
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा हैं आपने...सशक्त रचना...
** जय माता दी **
ReplyDeleteyahi betiyan jinko pujte use hin garbh mein ya fir parampara ki aad mein maar dete hain. jhopad pattiyon ki betiyan ya to navraatra mein dhundhi jaati hai ye fir gharelu kaam karne keliye. sandehprad rachna, shubhkaamnaayen.
ReplyDeleteआनंद आ गया ....
ReplyDeleteशुभकामनायें !