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Saturday, December 31

नववर्ष कुछ हटकर


अब की बार देखना ,हम ऐसा नववर्ष मनायेगें ,
जो गहरी नींद सो रहे हैं ,उनको हम जगायेगें |
जो टुकड़े कर रहें हैं देश के ,उनको हम समझाएगें ,
इस देश में भाई -चारा तोड़ने वाली दिवार को गिरायेगें |
झौपड -पट्टियों में रहने वाले और गरीब बच्चों को खाना खिलाएगें ,
इन सभी लोगों की सुखी हुई बगिया को मह्कायेगें |
गरीब बच्चों और भिखारियों को नये-नये कपडें दिलवायेगें ,
चाहे कुछ भी हो जाए एक दिन तो इनके मन को बहलायेगें |
ये देश दिन रात करे तरक्की ऐसी तरकीब चलायेगें ,
इस देश में रहे ना कोई भी भूखा ऐसा कुछ कर जायेगें |
गरीबों को नहीं गरीबी को है हटाना ऐसा तन्त्र बनवायेगें ,
इस देश से हो भ्रस्टाचार खत्म ऐसा मंतर चलायेगें |
अब की बार शिमला ,मनाली ,डलहोजी नहीं जायेगें ,
अब की बार नया साल हम यहीं पर मनायेगें |
ये साल लाये हजारों खुशियाँ ऐसी मन्नत मनायेगें ,
अब की बार देखना हम ऐसा नववर्ष मनायेगें |