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Sunday, May 27

पिंजरे का पंछी

             
ये नीला आसमान ,हंसी मौसम सुबह-सुबह का चहकना,
बस पिंजरा ही नज़र आता है ,सपना खुल जाने के बाद|
कितने ही सितम ,दुःख ,कितने कष्ट सहे हैं जिन्दगी में ,
कितना भयानक मंजर होता है,तूफान गुजर जाने के बाद |
मैं भी नीलाम्बर में उड़ता, अपने भाई बहनों से मिलता,
बहुत ही दुःख होता है ,अपनों से बिछुड़ जाने के बाद |
कहाँ हर किसी को मिलती है ,मनचाही जिन्दगी ,
सब कुछ भूल जाते हैं लोग,वक्त गुजर जाने के बाद |
अच्छा होता पिंजरे में ही रखता मुझको सारी जिन्दगी,
जालिम ने पर काटे  हैं ,उड़ना सिखाने के बाद |  

20 comments:

  1. क्या करें पिंजरे का पंछी....मजबूर है नियति के हाथों....
    गहन भाव.....
    सादर.

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  2. बहुत ही बेहतरीन लिखा है आपने ....बहुत ही सुन्दर और बेहतरीन रचना.....आभार !

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  3. सब कुछ भूल जाते हैं लोग,वक्त गुजर जाने के बाद |
    अच्छा होता पिंजरे में ही रखता मुझको सारी जिन्दगी,
    जालिम ने पर काटे हैं ,उड़ना सिखाने के बाद |
    वाह क्या बात है बहुत ही खूब लिखा है आपने वो कहते है न
    हर किसी को पूरा जहां नहीं मिलता
    किसी को ज़मीन तो किसी को आसमां नहीं मिलता
    सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति.....

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  4. अच्छा होता पिंजरे में ही रखता मुझको सारी जिन्दगी,
    जालिम ने पर काटे हैं ,उड़ना सिखाने के बाद |

    बहुत ही सुंदर पंक्तियां।

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  5. अच्छा होता पिंजरे में ही रखता मुझको सारी जिन्दगी,
    जालिम ने पर काटे हैं ,उड़ना सिखाने के बाद |

    खुबसूरत लाइन सुन्दर शब्द संयोजन .दर्द से रिश्ता छूटने की छतपटाहट .........

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  6. अच्छा होता पिंजरे में ही रखता मुझको सारी जिन्दगी,
    जालिम ने पर काटे हैं ,उड़ना सिखाने के बाद |
    पिंजड़े में कैद पंछी का दर्द..मार्मिक रचना

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  7. ये पंक्तियाँ जैसे ज़ख्मों की तरह है...

    अच्छा होता पिंजरे में ही रखता मुझको सारी जिन्दगी,
    जालिम ने पर काटे हैं ,उड़ना सिखाने के बाद |

    शुभकामनाएँ.

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  8. अच्छा होता पिंजरे में ही रखता मुझको सारी जिन्दगी,
    जालिम ने पर काटे हैं ,उड़ना सिखाने के बाद |


    क्या बात है .....
    बहुत गहरी चोट ....!!

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  9. आपके पोस्ट पर पहली बार आया हूं । आना सार्थक हुआ । मेरी कामना है कि आप सदा सृजनरत रहें । मेरे नए पोस्ट "बिहार की स्थापना के 100 वर्ष" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  10. सब कुछ भूल जाते हैं लोग,वक्त गुजर जाने के बाद |
    अच्छा होता पिंजरे में ही रखता मुझको सारी जिन्दगी,

    ....Nice one... loved it

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  11. अच्छा होता पिंजरे में ही रखता मुझको सारी जिन्दगी,
    जालिम ने पर काटे हैं ,उड़ना सिखाने के बाद |

    waah kya baat kahi, achha likha hai

    shubhkamnayen

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  12. dard pinjare ke panchhi ka bahut khoonsoorti se bayan kiya hai ...!!
    shubhkamnayen ...

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  13. ये नीला आसमान ,हंसी मौसम सुबह-सुबह का चहकना,
    बस पिंजरा ही नज़र आता है ,सपना खुल जाने के बाद|

    bhai suresh ji bahut hi gahari anubhutti ke sath apne ye gazal likhi hai .....sadar abhar vyakt karata hoon apki es sundar rachana ke liye .

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  14. बहुत ही दुःख होता है ,अपनों से बिछुड़ जाने के बाद .....sahi bat...

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  15. पिंजरे में कैद ..पंछी की हो या इंसान की ..दर्द एक सा ही होता हैं
    बहुत खूबसूरत प्रस्तुति

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  16. बहुत सुन्‍दर प्रस्‍तुति

    पिजंरे के पंछी से तेरा दर्द ना जाने कोई;;;;;;;;

    ब्‍लाग को ज्‍वाईन कर लियो है आप भी सतर्थक बने तो खुशी होगी

    युनिक तकनीकी ब्‍लाग का लिंक यहा है

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  17. सब कुछ भूल जाते हैं लोग,वक्त गुजर जाने के बाद |

    पिंजरे-पंछी के प्रतीकों में गूढ़ दर्धन, वाह !!!!!!!!!!!!!

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