
ये नीला आसमान ,हंसी मौसम सुबह-सुबह का चहकना,
बस पिंजरा ही नज़र आता है ,सपना खुल जाने के बाद|
कितने ही सितम ,दुःख ,कितने कष्ट सहे हैं जिन्दगी में ,
कितना भयानक मंजर होता है,तूफान गुजर जाने के बाद |
मैं भी नीलाम्बर में उड़ता, अपने भाई बहनों से मिलता,
बहुत ही दुःख होता है ,अपनों से बिछुड़ जाने के बाद |
कहाँ हर किसी को मिलती है ,मनचाही जिन्दगी ,
सब कुछ भूल जाते हैं लोग,वक्त गुजर जाने के बाद |
अच्छा होता पिंजरे में ही रखता मुझको सारी जिन्दगी,
जालिम ने पर काटे हैं ,उड़ना सिखाने के बाद |
क्या करें पिंजरे का पंछी....मजबूर है नियति के हाथों....
ReplyDeleteगहन भाव.....
सादर.
बहुत ही बेहतरीन लिखा है आपने ....बहुत ही सुन्दर और बेहतरीन रचना.....आभार !
ReplyDeleteसब कुछ भूल जाते हैं लोग,वक्त गुजर जाने के बाद |
ReplyDeleteअच्छा होता पिंजरे में ही रखता मुझको सारी जिन्दगी,
जालिम ने पर काटे हैं ,उड़ना सिखाने के बाद |
वाह क्या बात है बहुत ही खूब लिखा है आपने वो कहते है न
हर किसी को पूरा जहां नहीं मिलता
किसी को ज़मीन तो किसी को आसमां नहीं मिलता
सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति.....
अच्छा होता पिंजरे में ही रखता मुझको सारी जिन्दगी,
ReplyDeleteजालिम ने पर काटे हैं ,उड़ना सिखाने के बाद |
बहुत ही सुंदर पंक्तियां।
अच्छा होता पिंजरे में ही रखता मुझको सारी जिन्दगी,
ReplyDeleteजालिम ने पर काटे हैं ,उड़ना सिखाने के बाद |
खुबसूरत लाइन सुन्दर शब्द संयोजन .दर्द से रिश्ता छूटने की छतपटाहट .........
अच्छा होता पिंजरे में ही रखता मुझको सारी जिन्दगी,
ReplyDeleteजालिम ने पर काटे हैं ,उड़ना सिखाने के बाद |
पिंजड़े में कैद पंछी का दर्द..मार्मिक रचना
ये पंक्तियाँ जैसे ज़ख्मों की तरह है...
ReplyDeleteअच्छा होता पिंजरे में ही रखता मुझको सारी जिन्दगी,
जालिम ने पर काटे हैं ,उड़ना सिखाने के बाद |
शुभकामनाएँ.
अच्छा होता पिंजरे में ही रखता मुझको सारी जिन्दगी,
ReplyDeleteजालिम ने पर काटे हैं ,उड़ना सिखाने के बाद |
क्या बात है .....
बहुत गहरी चोट ....!!
आपके पोस्ट पर पहली बार आया हूं । आना सार्थक हुआ । मेरी कामना है कि आप सदा सृजनरत रहें । मेरे नए पोस्ट "बिहार की स्थापना के 100 वर्ष" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteसब कुछ भूल जाते हैं लोग,वक्त गुजर जाने के बाद |
ReplyDeleteअच्छा होता पिंजरे में ही रखता मुझको सारी जिन्दगी,
....Nice one... loved it
अच्छा होता पिंजरे में ही रखता मुझको सारी जिन्दगी,
ReplyDeleteजालिम ने पर काटे हैं ,उड़ना सिखाने के बाद |
waah kya baat kahi, achha likha hai
shubhkamnayen
बेहतरीन..................
ReplyDeletedard pinjare ke panchhi ka bahut khoonsoorti se bayan kiya hai ...!!
ReplyDeleteshubhkamnayen ...
ये नीला आसमान ,हंसी मौसम सुबह-सुबह का चहकना,
ReplyDeleteबस पिंजरा ही नज़र आता है ,सपना खुल जाने के बाद|
bhai suresh ji bahut hi gahari anubhutti ke sath apne ye gazal likhi hai .....sadar abhar vyakt karata hoon apki es sundar rachana ke liye .
बहुत ही दुःख होता है ,अपनों से बिछुड़ जाने के बाद .....sahi bat...
ReplyDeleteपिंजरे में कैद ..पंछी की हो या इंसान की ..दर्द एक सा ही होता हैं
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत प्रस्तुति
Beautiful...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteपिजंरे के पंछी से तेरा दर्द ना जाने कोई;;;;;;;;
ब्लाग को ज्वाईन कर लियो है आप भी सतर्थक बने तो खुशी होगी
युनिक तकनीकी ब्लाग का लिंक यहा है
सब कुछ भूल जाते हैं लोग,वक्त गुजर जाने के बाद |
ReplyDeleteपिंजरे-पंछी के प्रतीकों में गूढ़ दर्धन, वाह !!!!!!!!!!!!!
गूढ़ दर्शन
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