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Saturday, December 31

नववर्ष कुछ हटकर


अब की बार देखना ,हम ऐसा नववर्ष मनायेगें ,
जो गहरी नींद सो रहे हैं ,उनको हम जगायेगें |
जो टुकड़े कर रहें हैं देश के ,उनको हम समझाएगें ,
इस देश में भाई -चारा तोड़ने वाली दिवार को गिरायेगें |
झौपड -पट्टियों में रहने वाले और गरीब बच्चों को खाना खिलाएगें ,
इन सभी लोगों की सुखी हुई बगिया को मह्कायेगें |
गरीब बच्चों और भिखारियों को नये-नये कपडें दिलवायेगें ,
चाहे कुछ भी हो जाए एक दिन तो इनके मन को बहलायेगें |
ये देश दिन रात करे तरक्की ऐसी तरकीब चलायेगें ,
इस देश में रहे ना कोई भी भूखा ऐसा कुछ कर जायेगें |
गरीबों को नहीं गरीबी को है हटाना ऐसा तन्त्र बनवायेगें ,
इस देश से हो भ्रस्टाचार खत्म ऐसा मंतर चलायेगें |
अब की बार शिमला ,मनाली ,डलहोजी नहीं जायेगें ,
अब की बार नया साल हम यहीं पर मनायेगें |
ये साल लाये हजारों खुशियाँ ऐसी मन्नत मनायेगें ,
अब की बार देखना हम ऐसा नववर्ष मनायेगें |  

6 comments:

  1. बहुत सार्थक सोच...आप को सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !

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  2. बहुत सुंदर संदेश देती हुई रचना ! आपको भी नए वर्ष की बधाई!

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  3. प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट " जाके परदेशवा में भुलाई गईल राजा जी" पर आपके प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । नव-वर्ष की मंगलमय एवं अशेष शुभकामनाओं के साथ ।

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  4. Merry Christmas!
    आज 25/12/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!

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  5. बहुत सुन्दर रचना...
    नववर्ष की शुभकामनाएँ......
    :-)
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